अखंड भारत बनाने का संकल्प लेने के लिए हर वर्ष अखंड भारत दिवस 14 अगस्त को मनाया जाता है। देश के आजादी के दीवानों ने खंडित भारत की परिकल्पना नहीं की थी। लेकिन 14 अगस्त 1947 को अखंड भारत का आखिरी विभाजन हुआ। इस वर्ष भी संघ मुख्यालय और विश्व हिन्दू परिषद् ने कार्यालय में अखंड भारत दिवस मनाया । उपस्थित लोगों ने न सिर्फ भगवा ध्वज फहराया बल्कि देश को आजाद कराने में शहीद हुए लोगों के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अपने संकल्प को दोहराया। वक्ताओं ने जिले के नागरिकों को अपनी भावना से अवगत कराते हुए अखंड भारत निर्माण में सहभागी बनने की अपील की। वंदे मातरम् के उद्घोष के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ
भारत माता के तैल्य चित्र पर पुष्प अर्पित कर खंडित भारत को अखंड भारत बनाने का संकल्प लिया गया। अध्यक्षता डा. संतोष सिंह व संचालन उज्ज्वल ने किया। इस मौके पर मुख्य वक्ता आरएसएस के जिला कार्यवाह मिथिलेश राय ने कहा कि 2500 वर्षो में षडयंत्रकारी ताकतों ने भारत को 24 बार खंडित किया । 1857 में जिस भारत का क्षेत्रफल 83लाख वर्ग किलोमीटर था और 1947 में घटकर मात्र 33 लाख वर्ग किलोमीटर रह गया है। उन्होंने कहा कि जब जर्मनी, इटली व इजरायल का एकीकरण हो सकता है तो अपने अखंड भारत का पुर्ननिर्माण क्यों संभव नहीं हो सकता।
अखंड भारत में आज के अफगानिस्थान, पाकिस्तान , तिब्बत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका आते है केवल इतना ही नहीं कालांतर में भारत का साम्राज्य में आज के मलेशिया, फिलीपीन्स, थाईलैंड, दक्षिण वियतनाम, कंबोडिया ,इंडोनेशिया आदि में सम्मिलित थे। सन् 1875 तक (अफगानिस्थान, पाकिस्तान , तिब्बत, भूटान, म्यांमार, बांग्लादेश, श्रीलंका) भारत का ही हिस्सा थे लेकिन 1857 की क्रांति के पश्चात ब्रिटिश साम्राज्य की नींव हिल गई थी उन्हें लगा की इतने बड़े भू-भाग का दोहन एक केंद्र से करना संभव नहीं है एवं फुट डालो एवं शासन करो की नीति अपनायी एवं भारत को अनेकानेक छोटे-छोटे हिस्सो में बाँट दिया केवल इतना ही नहीं यह भी सुनिश्चित किया की कालांतर में भारतवर्ष पुनः अखंड न बन सके।
अफ़ग़ानिस्तान (1876) :विघटन की इस शृंखला का प्रारम्भ अफ़ग़ानिस्तान से हुआ जब सन् 1876 में रूस एवं ब्रिटैन के बीच हुई गंडामक संधि के बाद अफ़ग़ानिस्तान.भूटान (1906),श्रीलंका (1935),पाकिस्तान(1947), बांग्लादेश (1971).
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