आत्महत्या को जहां अन्य धर्मों में पाप और नरक जाने का कार्य माना जाता है। वही हिंदू धर्म ग्रंथ क्या कहती है?
अचानक अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के पीछे विवाद गहराया हुआ है. इस घटना ने एक बार फिर समाज की सच्चाई सबके सामने ला दी है. जहां पर भीड़ में घिरे रहने वाला इंसान भी अकेला है. बहरहाल, भौतिक दुनिया से परे अगर आत्महत्या को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो गरुड़पुराण में आत्महत्या करने वाले इंसान के बारे में दिलचस्प उल्लेख मिलता है. दुनिया के अधिकतर धर्मों में कहा गया है कि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की आत्मा पर शैतान अधिकार कर लेता है तथा उसे नर्क की आग में हजारों साल तक जलाता है. लेकिन हिंदू धर्म में इन धर्मों से अलग कई बातें कही गई हैं. दरअसल, पुराणों के अनुसार जन्म और मृत्यु प्रकृति द्वारा पूर्वजन्म के आधार पर निर्धारित कर दी जाती है. जैसे किसी मनुष्य की आयु 50 साल निर्धारित की गई है लेकिन अगर वो जीवन से हताश होकर 30 वर्ष की आयु में ही आत्महत्या कर लेता है तो बाकी के 20 साल उसकी आत्मा मुक्ति के लिए भटकती रहती है. ऐसे में अगर उसकी कोई इच्छा अधूरी छूट गई है तो वो उसे पूरा करने के लिए उसकी आत्मा विभिन्न योनियों में भटकती रहती है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि आत्महत्या करने वाले ...